Mahashivratri 2021 “A night of divine energy/ महाशिवरात्रि 2021 एक दिव्य ऊर्जा की रात्रि
Mahashivratri/महाशिवरात्रि भारत और अन्य हिंदू राष्ट्र में हर साल मनाने वाला त्योहार है जो कि भगवान शिव जी को समर्पित है, और वो हर शिवभक्त के लिए महत्वपूर्ण है जो शिव की पूजा अर्चना करते है। भारत में लगभग सभी त्योहार दिन को मनाए जाते है लेकिन महाशिवरात्रि ही ऐसा एक त्योहार है जिसे रात में मनाया जाता है,क्यूंकि ऐसा मानना है कि रात के समय ब्रम्हांड में दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती है जो लोगो के जीवन में कल्याणी होती है।
Mahashivtri kab manayi jati hai?/ महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि हर साल फरवरी से मार्च के महीने में मनाई जाती है। हर साल में 12 शिवरात्रि होती है जिनमे से मुख्य त्योहार फाल्गुन माह के 14 वें दिन आयोजित किया जाता है जिसे सभी लोग महाशिवरात्रि के रूप में मनाते है। हिंदू चंद्र सौर कैलेंडर के अनुसार हर महीने एक शिवरात्रि होती है जो कि अमावस्या से एक दिन पहले पढ़ता है, इसी प्रकार साल में 12 शिवरात्रि हो जाती है।
Mahashivratri kyu manai jati hai/ Why Mahashivtri is celebrated/ महाशिवरात्रि क्यूं मनाई जाती है?
जैसा कि मैं आपको बता चुका हूं कि हर माह अमावस्या के एक दिन पूर्व की रात्रि शिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का अपना एक अलग ही महत्व है, इसी दिन आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। महाशिवरात्रि की रात पृथ्वी का उत्तरी गोलार्थ इस प्रकार से अवस्थित होता है कि उस दिन दिव्य ऊर्जा अपने चरम स्तर पर होती है, जो की मनुष्य के भीतर की ऊर्जा को और ऊपर और शिखर पर ले जाती है। इसीलिए महाशिवरात्रि की रात आपको भी अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए जागना होता है, जिससे की ऊर्जा का प्रवाह आपके मस्तिस्क तक जा सके।
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव पहली बार प्रकट हुए थे, ये भी मान्यता है की शिव जी अग्नि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिसका न तो कोई उद्गम था न ही कोई अंत। इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए ब्रम्हा जी और विष्णु हंस और वराह का अवतार लेकर शिवलिंग के दोनो छोरों का अंत जानने के लिए ऊपर और नीचे की ओर गए लेकिन वो दोनो ही असफल रहे।
Mahashivratri ka mahatva/ significance of Mahashivtri/ महाशिवरात्रि का महत्व।
महाशिवरात्रि आध्यात्मिक, योगिक, पारिवारिक सभी लोगो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के ही दिन भगवान शंकर सारे असुरों का नाश करके कैलाश पर्वत पर विराजमान हुए थे। वे एक पर्वत की भांति ही निश्चल और स्थिर हो गए, इसीलिए जितने भी साधक है वो महाशिवरात्रि को स्थिरता के रूप में मनाते है।
स्थिरता के अलावा, आज के दिन संसार में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बहुत अधिक होता है, और हम सभी जानते है की अगर आज हम जीवित है उसका एक मात्र श्रोत है वो है हमारे अंदर की ऊर्जा। इसी नियम के तहत ब्रम्हांड में सब कुछ चलता है, हर एक चीज में ऊर्जा है जो कि चीजों को गतिमान करती है। महाशिवरात्रि के रात भगवान शिव की अनुकंपा से आप भी अपने अंदर की ऊर्जा को चरम पर ले जा सकते है और अनेक रोगों से मुक्ति व अपने जीवन में सफलताएं हासिल कर सकते है।
Mahashivratri ko rat me hi kyun manate hai? Why Mahashivtri is celebrated at night? महाशिवरात्रि को रात में ही क्यों मनाते है?
महाशिवरात्रि को रात में मनाने का अपना अलग ही महत्व है। हम सभी जानते है की भगवान शिव विनाश के देवता है, और अगर आपको नहीं पता तो आपको बता दूं कि पूरे ब्रम्हांड में अंधकार ही अंधकार है, ऐसा इसीलिए है कि अंधकार का कोई श्रोत नही होता है, वह लगभग हर जगह होता है, इसको आप इस तरह से समझ सकते है, जैसे कि एक कमरा है जिसमे केवल एक चिराज जल रहा है , जब तक चिराग जलता रहता है तब तक तो कमरे के अंदर प्रकाश रहता है लेकिन जैसे ही चिराग बुझ जाता है, कमरे को अंधकार अपनी आगोश में ले लेता है, यही परम सत्य है , जब लोग अपनी लालची प्रवत्ति से ऊपर उठकर स्वयं के कल्याण से ऊपर जाकर अपने जीवन से परे जाने पर ध्यान करते है और स्वयं को शिव से मिलाने की चेष्टा करते है, मतलब अनंत अंधेरे की ओर अग्रसर होते है। इसीलिए शिवरात्रि का रात का महत्व अंधेरे को परिभाषित और खुद को शिव में विलीन करने के लिए होता है।
Kya Mahashivratri ki rat ko jagna chahiye? Why we should still awake at Mahashivratri night? क्या महाशिवरात्रि की रात को जागना चाहिए?
महाशिवरात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, ये भोलेनाथ शिवशंकर की भक्ति के लिए मनाई जाती है। महाशिवरात्रि की रात को दिव्य ऊर्जा का संचार और प्रवाह होता है जिससे की मानसिक विकारों से मुक्ति अथवा मानसिक विकास होता है। महाशिवरात्रि की रात आपको भी जागना चाहिए और रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठना चाहिए क्योंकि आप सभी जानते हो कि रीढ़ की हड्डी मनुष्य के शरीर में ऊर्जा का संचार करती है। चूंकि महाशिवरात्रि की रात ब्रम्हांड में दिव्य ऊर्जा का संचालन होता है इसीलिए उससे आपको भी फायदा मिले इसलिए आपको भी महाशिवरात्रि को सोना नहीं चाहिए, इसके अलावा आपको अपने अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करनी चाहिए क्योंकि भगवान शंकर संहारक के साथ साथ बहुत ही करुणामयी भी है। भगवान शिव की शरण में जाने का अवसर महाशिवरात्रि से अच्छा और कोई नहीं हो सकता है।
Mahashivratri ko kaun kaun se anusthan hote hai? The rituals during Mahashivtri/ महाशिवरात्रि को कौन कौन से अनुष्ठान होते है?
महाशिवरात्रि भगवान शंकर की उपासना और पूजा की रात्रि है, इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेक प्रकार से किया जाता है जैसे की जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक। सुबह से ही शिवलिंग का अभिषेक किया जाने लगता है, भक्तो की कतार हाथो में अभिषेक पत्रों को लिए लगी रहती है। लोग सुबह सुबह स्नान करने के उपरांत शिव जी की आराधना करते है। लोग गंगा और शिव सागर में भी डुबकी लगाते है ऐसा करने से लोग पवित्र होते है।
भगवान शिव के मंदिरों में भक्तगण शिवलिंग पर दूध, बेल पत्र, बेर, धतूरा, नई फ़सल, शहद आदि चढ़ाते है। इसके अलावा लोग शिवलिंग की तीन अथवा सात बार परिक्रमा भी करते है और अपने और अपने परिवार के लिए मंगल कामनाएं भी करते है।
Mahashivratri poojan samagri/ महाशिवरात्रि पूजन सामग्री।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी को प्रसन्न करने लिए शिवलिंग का अभिषेक दूध, जल , और शहद से किया जाना चाहिए। याद रखे शिवलिंग या शिव जी की मूर्ति के स्नान के लिए हमेशा तांबे के बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक में प्रयोग होने वाला दूध, दही, शहद और उनको चढ़ाने वाला वस्त्र हमेशा अपने पास रखें।
इसके अलावा पंचामृत बनाने का सामान भी ले लें, और साथ ही बेलपत्र, धतूरा, फूल, फल, जनेऊ, चंदन, नया अनाज(गेंहू अथवा जौ की बालियां), चावल, अष्टगंध,गंगाजल, कुमकुम,पुस्पमाला(गेंदा), कपूर, रोली खस,शमी के पत्र, लौंग, इलायची,सुपारी,पान,सिंदूर, आभूषण का भी प्रबंध कर लेना चाहिए। अगर आप ये सब चीजें नहीं भी जुटा पाते है, तो मात्र बेलपत्र और एक लोटा जल भी भगवान शिव जी को अर्पित कर सकते है।
Mahashivratri pooja me kaun si vastuo ko samil karna chahiye? Things you must include in Mahashivratri pooja/ महाशिवरात्रि पूजा में कौन सी वस्तुओं का उपयोग अवस्य करना चाहिए?
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि पूजन में निम्न वस्तुओं का होना अति आवश्यक है।
- शिवलिंग का पानी, दूध, और शहद के साथ अभिषेक
- सिंदूर का लेप शिवलिंग पर लगाया जाता है, (पुण्य के लिए)
- फल और फूल का अर्पण( दीर्घायु अथवा इच्छाओं के लिए)
- धूप , धन और अनाज का उपयोग
- दीपक जो की ज्ञान की प्राप्ति के लिए उपयुक्त है।
- पान के पत्ते जो की सांसारिक सुखों के साथ साथ संतोष का अंकन करते है।
Mahashivratri poojan me kaun si vastuo ka upyog varjit hai? Things not to include in Mahashivratri pooja/ महाशिवरात्रि पूजन में कौन सी वस्तुओं का उपयोग वर्जित है?
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि पूजन में या फिर शिव पूजन में निम्न वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए
- तुलसी के पत्ते।
- हल्दी
- चंपा और केतकी के फूल
- केसर
- दुपहारिका
- मालती
Mahashivratri pooja kaise kare? महाशिवरात्रि पूजा कैसे करे? How to do correct Mahashivratri pooja?
महाशिवरात्रि भगवान शिव जी का दिन होता है, इस दिन ब्रम्हांड में प्रचंड दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है,जिसका लाभ बहुत है। भगवान शिव जी पूजा करने से आपको और लाभ मिलता है। महाशिवरात्रि के दिन आपको व्रत रहना चाहिए और आपको मन ही मन “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहना चाहिए। महाशिवरात्रि पर कोशिश करें कि आप किसी भी भगवान शिव के मंदिर में जाएं और शिवलिंग को दूध,जल और शहद से स्नान कराएं, साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, मौसमी फल, गेंदा के फूल अर्पित करें, और भगवान शिव का ध्यान करें।
ये सब करने के उपरांत आपको भगवान शिव जी की आरती उतारें और साथ साथ शिव आरती का गायन भी कर सकते है। आरती करने के पश्चात आपको शिवलिंग की परिक्रमा करनी चाहिए, लेकिन याद रहे आप परिक्रमा गलत ना करें। शिवलिंग की परिक्रमा करने का सही तरीका होता है कि आपको शिवलिंग के बाईं तरफ से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए और जहां से शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल बाहर निकलता है वहां से वापस लौट आएं उसे कभी लांघे नही।